श्रीमद्भागवत कथा रूप
मानव शरीर एक मशीन है और वेद मैनुअल हैं जो भगवान हमें यह मशीन प्रदान करते हैं। मानव जीवन यदि वेदों के अनुसार विनियमित हो तो परम आनंद की ओर जाता है। श्रीमद्भागवतम, और अन्य सभी धार्मिक ग्रंथ जो हमें सीधे भगवान या उनके अधिकृत प्रतिनिधि से प्राप्त होते हैं, संपूर्ण मानव सभ्यता की विरासत हैं। उन पर किसी एक व्यक्ति या समुदाय का स्वामित्व नहीं है।यदि ऊपर वर्णित वैदिक साहित्य के विशाल जाल को वृक्ष माना जाए, तो उस वृक्ष का फल ज्ञान है, वह फल परिपक्व होने पर मीठा हो जाता है। श्रीमद्भागवतम् वैदिक ज्ञान का वह परिपक्व फल है। श्रीमद्भागवतम् कथारूप से अध्यात्म विज्ञान के सबसे गुप्त और परिष्कृत विषयों को बहुत ही सरल तरीके से अर्थात एक कथा के भाति समझा जा सकता है। श्रीमद्भागवतम् को भागवत पुराण के नाम से भी जाना जाता है। श्रीमद्भागवतम कथा रूप में श्रीमद्भागवतम के सभी 12 सर्गों में वर्णित सभी विषय शामिल हैं। समग्र रूप से श्रीमद्भागवतम के समुद्र में गोता लगाने की इच्छा हर भक्तो के ह्रदय में होती है परन्तु भागवतम का सार समझ पाना उसका आदि अंत का ज्ञात किसी को नई हो सकता। उसी श्रीमदभागवतम की यह श्रीमद भागवतम कथारूप पुस्तिका उसकी कथाओ को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। श्रीमद भागवतम से पहले ये श्रीमद भागवतम कथारूप का अध्ययन करना चाहिए ।कनिष्ठ भक्तो के लिए इसका अध्यन अतियंत उत्तम है।
Reviews
There are no reviews yet.