यहां प्रस्तुत भगवान चैतन्य की शिक्षाओं और भगवद-गीता में भगवान कृष्ण की शिक्षाओं में कोई अंतर नहीं है। भगवान चैतन्य की शिक्षाएं भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का व्यावहारिक प्रदर्शन हैं। भगवान चैतन्य कृष्ण चेतना के विज्ञान की शिक्षा देते हैं। वह विज्ञान पूर्ण है।सभी लोग मानसिक भौतिक आसक्ति से खुद को रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन आमतौर पर यह पाया जाता है कि मन को नियंत्रित करना अतियंत कठिन है,मन व्यक्ति को कामुक गतिविधियों में घसीट ही देता है। कृष्ण भावनामृत व्यक्ति इस जोखिम को नहीं उठाता है अर्थात इससे स्वयं ही मुक्त हो जाता है। व्यक्ति को अपने मन और इंद्रियों को कृष्ण भावनामृत गतिविधियों में लगाना चाहिए ऐसी गतिविधियाँ ही मानव पूर्णता का लक्ष्य हैं। भगवान चैतन्य सिखाते हैं कि इसे व्यवहार में कैसे करना चाहिए । भगवान चैतन्य की यह पुस्तक, रूप गोस्वामी, संतान गोस्वामी, भगवान के असीमित रूपों की शिक्षाओं को प्रस्तुत करके उन शिक्षाओं को सरल और समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत करती है, अलग से भगवान कृष्ण की समृद्धि पर अध्यायों को समझाया गया है, भगवान कृष्ण की सुंदरता, भगवान के चरणों को प्राप्त करना ,भगवान की सेवा करना, सर्वोच्च परमात्मा के साथ हमारा संबंध, वेदांत अध्ययन का लक्ष्य, भगवान का परमानंद स्वरूप और राधा और कृष्ण की दिव्य लीलाएं, कृष्ण के लिए शुद्ध पारलौकिक प्रेम को प्रकट करना, और भगवान श्री चैतन्य की जीवनी,भगवान के मूल व्यक्तित्व और कई अधिक दिव्य ज्ञान । भौतिक शरीर में तल्लीन होकर,बद्ध आत्मा सभी प्रकार की भौतिक गतिविधियों द्वारा इतिहास के पन्नों को ही बढ़ाती है। भगवान चैतन्य की शिक्षा मानव समाज को ऐसी अनावश्यक और अस्थायी गतिविधियों को रोकने में मदद कर सकती है। इन शिक्षाओं से मानवता को उचाई पे ले जाया सकता है आध्यात्मिक गतिविधि का सर्वोच्च माध्यम ये शिक्षाए ही है । भगवान चैतन्य की शिक्षाओं से प्रबुद्ध तथा सूक्ष्म ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, तथा इसके अध्यन मात्र से आध्यात्मिक अस्तित्व में आगे बढ़ना निश्चित है । प्रत्येक को अपनी गतिविधि के फल भुगतना या भोगना पड़ता है। भगवान चैतन्य की शिक्षाओं को समझकर, मानव समाज आध्यात्मिक जीवन के एक नए प्रकाश का अनुभव करेगा जो शुद्ध आत्मा के लिए गतिविधि के क्षेत्र को खोलेगा।जिस तरह कृष्ण ने अपनी बांसुरी की मधुर ध्वनि से गोपियों को आकर्षित किया, चैतन्य-चरितामृत के लेखक ने प्रार्थना की कि वे भी अपने दिव्य कंपन से पाठक के मन को आकर्षित करेंगे और यह पुस्तक उसका एक अंश तथा तत्व स्वरूप प्रस्तुत करती है।
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