कृष्णाभावनामृत एक अनुपम उपहार
जब भी हम किसी को कोई वस्तु प्रेम से प्रदान करते है जो उसे ख़ुशी दे अथवा उसके काम में आये तो उसे उपहार कहते है। परन्तु क्या आपने कभी विचार किया है की सबसे सर्वोत्तम भेंट क्या होगी ? दुनिया में कितनी भी मात्रा में धन से अधयत्मिक मुक्ति प्राप्त नहीं की जा सकती। मुक्ति क्या है ? पीड़ा से ऊपर उठने के मार्ग को मुक्ति कहते है। यह दुर्लभ , सर्वाधिक वांछनीय वस्तु है , व किसी भी भेद भाव से परे है । यह पुस्तक के माध्यम से , एक अनुपम उपहार को प्रस्तुत किया है , जो की भौतिक कष्टों से मुक्ति प्रदान करेगा। जब एक पुत्र अपने पिता के बिना किसी वस्तु का भोग करना चाहे तो हो सकता है वो सफल न हो व उसे पीड़ा प्राप्त हो उसी प्रकार ये पुस्तक हमे हमारे परम पिता श्री कृष्ण से सम्बन्ध जोड़ना सिखाएगी। उधारणतः जिस प्रकार मछली को अगर पानी से अलग कर दिया जाये और उसके सामने भोग वस्तु को पेश किया जाये तो वह मर जाएगी उसी प्रकार हमारी स्थिति इस भौतिक जगत में है । ये पुस्तक में क्रमिक पद्दति दी गयी है , एक के बाद एक कदम आगे बढ़ाय और आप पाएंगे की आपने एक अनुपम उपहार प्राप्त किया है , जो इन भौतिक कष्टों से स्थाई मुक्ति है ।
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