आत्मा साक्षात्कार का विज्ञान
इस पुस्तिका में सदियों से सिखाया गया महान आचार्यो द्वारा दिया गया दीर्घा कलिक ज्ञान है। इस पुस्तिका के विषय वास्तु कि चर्चा : ध्यान व् आधुनिक युगो में योगाभ्यास , कर्मा के नियम से मुक्ति पाना , परम चेतना प्राप्त करना और बहुत कुछ है। आत्मा के विज्ञान कि शिक्षा मानव जीवन के लक्ष्य को प्रकाशित करती है। मानव जीवन का लक्ष्य भगवन कि प्राप्ति करना है जो अनादि काल से जिव इस चौरासी योनिओ में भटक रहा ह। हमारे मनुष्य जीवन कि वास्तविक उन्नति भगवन को जानना ह। “आत्मा कि खोज ” का कार्य निश्चित ही विज्ञान कि उन्नति का चिन्ह होग। परन्तु विज्ञान कि उन्नति मात्र ही आत्मा को ढूंढने में समर्थ नहीं होगी। आत्मा कि उपस्तिथि केवल परिस्तिथि से सम्बंधित ज्ञान के आधार पर ही स्वीकार कि जा सकती है। जिव और आत्मा में अंतर यह है कि भगवन एक अत्यधिक महान आत्मा है, जबकि जिव अत्यंत लघु आत्मा है। परन्तु गुणात्मक रूप से दोनों ही सामान है। जैसे ही हम आत्मा के अस्तित्वा को समझ लेता है, हम भगवन के अस्तित्व को तत्काल ही समझ लेते है। मनुस्य जीवन भगवदसाक्षात्कार के लिए बनाया गया है न के भोग करने के लिए। यह समाज पशु समाज बन चूका है।
आत्मा अनन्य काल से जन्मा मृत्यु जरा व्याधि के चक्र में फसा हुआ है। यह पुस्तिका में पुनर्जन्म व उसका विज्ञान समझाया गया है। आत्मा कभी पशु योनि , कभी मनुष्य योनि , कभी पक्षी, कभी पेड़ बनके ब्राह्मण कर रहा है। भगवद प्राप्ति करने के लिए जीवात्मा को चाहिए कि वह आत्मसाक्षात्कार का विज्ञान जाने ताकि वह जन्म , मृत्यु के चक्कर से छूटकर पाए और अंत में भगवद प्राप्ति करे और अपने शाश्वत घर जो भगवन का धाम है वह आनंद मई जीवन कि प्राप्ति करे और भगवान और उनके भक्तो कि साक्षात् सेवा करे। आपकी मौलिक चेतना कृष्ण भावनामृत ही ह। आत्मासाक्षात्कार का विज्ञान आज के जगत के लिए तथा आप के जीवन के लिए प्रासंगिक है
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