पुनरागमन
पुनरजन्म की वास्तविक प्रकृति की व्याख्या करना है। वह एक विश्वास प्रणाली नहीं है बल्कि एक सटीक विज्ञन है जो हमारे अतीत और भविष्य के जीवन की व्याख्या करता है। ऐसे कई प्रश्न उठ सकते है जो तत्काल या धीरे धीरे लम्बे समय से पुनरजन्म ले सकते है। एक और सवाल उठ सकता की क्या जानवरो जैसे अन्य जीवित प्राणी मानव शरीर में पुनरजन्म ले सकते है? क्या आदमी एक जानवर के रूप में दिखाई दे सकता है? यदि हां तो कैसे और क्यों ? क्या हमारे भविष्य के अवतारों को नियंत्रित किया जा सकता है ? क्या हम अन्य ग्रहो या ब्रम्हाण्डो पर पुनरजन्म ले सकते है ? कर्म और अवतारों के बिच क्या सम्बन्ध है? पुनरागमन इन सवालो का पूरी तरह से जवाब देता है और कालातीत पाठ भगवद गीता में प्रस्तुत पुनरजन्म के मूल सिद्धांतो की व्याख्या करता है। वैश्विक अनिसिष्वाता के इस युग में यह जरुरी है की हम अपने चेतन की वास्तविक उत्पत्ति को समझे की हम अपने आप को विभिन्न शरीरो और जीवन की स्थितियों में कैसे पाते है और मृत्य की समय हमारे गंतव्य क्या होंग। पुनरआगमन में इस आवश्यक जानकारी को व्यापक रूप से समझा गया है।
यहूदी धर्म और प्रारंभिक ईसाई धर्म की इतिहास में भी पुनरजन्म की संकेत आम है। इनमेसे प्राचीन गिने, यूनानी, सुकरात, पाइथागोरस और प्लेटो है। जिन्होंने पुनरजन्म को अपनी सिक्षाओ का अभिन अंग बनाया। पुनरजन्म की वैज्ञानिक सिद्धांत समय बीतने की साथ नहीं बदलता वे स्थिर रहते है। प्राचीन भारत की ऋषि हमें बताते है की मानव जीवन का लक्ष्य पुनरजीवन की अंतहिन् चक्र से बचना है और फिर से इस भौतिक दुनिया में वापिस नहीं आना है। पुनरजन्म से मुक्ति होने की लिए कर्म की नियम को अच्छी तरह से समज़ना चाहिए। अनादिकाल से जिव जीवन की विभिन्न प्रजातियों और विभिन्न ग्रहो में लगभग हमेश माया के जादू के तहत यात्रा करता है। इस प्रक्रिया को भगवद गीता में समजाया गया है। तो इंसानो को हमे आत्मा-प्राप्ति कीलिए प्रयास करना चाहिए और केवल पक्षियों और जानवरो के लेवल पर कार्य नहीं करना चाहिए। पुनरजन्म और स्थान परिवर्तन का विज्ञन आधुनिक वैज्ञानिको की लिए पूरी तरह से अज्ञात है और ये कथाकथित वैज्ञानिक इन चीज़ो से परेशान होना पसंद नहीं करते है।
क्योंकि अगर वे इस विषय वास्तु और जीवन की समस्याओ पर विचार करेंगे तो उन्हें अपना भविष्य बहुत अँधेरा दिखाई देगा।सिद्धांत यह है की किसी को यह मंजूरी देनी चाहिए की मृत्यु चेतावनी पहले से हे वह है और जीवन की किसी भी स्तर को किसी को बेहतर अगले जीवन की लिए तैयार करना चाहिए। (श्रीमद भगवद २.१.६)
Reviews
There are no reviews yet.